बुधवार, 7 अप्रैल 2010

शादी क्यों कर लेती हैं खूबसूरत लड़कियां ?



आपको अटपटा जरूर लग रहा होगा, सोच रहे होंगे कि अजब बेवकूफाना सी बात है..लेकिन हकीकत कुछ ऐसी है...मैं क्या करूं सोच ही ऐसी है...मेरा बस चले तो किसी खूबसूसत लड़की की शादी ही नही होने दूं....आप फिर सोचेंगे कि मैं कितनी घटिया सोच वाला इंसान हूं....लेकिन मैं ऐसा अपने लिए नहीं कह रहा हूं...बल्कि मैं तो खूबसूरत लड़कियों के पक्ष की बात बोल रहा हूं...अब आप ही सोचिए कि शादी से पहले खूबसूरत लड़की के दीवाने कितने होते हैं...हर गली, मोहल्ले में लोग उसके आने जाने का वक्त तकते रहते हैं...उसकी प्यार भरी एक आंख भर उठ जाए तो कई जैकपॉट जीतने का नशा हो जाता है...उस दिन किसी काम में मन नहीं लगता...हर तरफ सिर्फ वो आंखे ही नजर आती हैं....और रात भी उन आंखों को देखते देखते आंखों आखों में बीत जाती है...और अगर उसने प्यार से एक शब्द भी कह दिया, तो कान में पंडित शिव कुमार शर्मा के संतूर की मिठास गूंजने लगती है...हांलाकि इसमें एक लोचा भी है...वो ये, कि ऐसी लड़कियों के मुंह से जो पहला शब्द निकलता है, वो भईया ही होता है...लेकिन हम लोग यानी खूबसूरती के प्रशंसक तो जानते ही हैं...कि आखिर सबके सामने बुलाएगी भी तो क्या कहकर...इसलिए भईया शब्द पर हमलोग ध्यान ही नहीं देते...इसको कुछ इसी तरह से स्वीकार करते हैं....जैसे साला शब्द गाली होते हुए भी गाली की तरह इस्तेमाल नहीं किया जाता...और अगर वही लड़की शादी कर ले, तो उसका चाहने वाला सिर्फ उसका पति ही होता है...वो भी कुछ दिनों तक...और उसके सारे चाहने वाले सिर्फ उसकी चाहत का ही त्याग नहीं करते...बल्कि उसके दुश्मन भी बन जाते हैं...अब उसी मुहल्ले में हमें उसकी आखों में दगाबाजी नजर आती है...शब्दों से सियार की हूं हूं की आवाज सुनाई देती है...पता नहीं ऐसा क्यों कर लेती हैं ये खूबसूरत लड़कियां...अरे बीच का रास्ता भी तो निकल सकता है...अगर शादी करना इतना ही जरूरी है...तो करिए न, कौन रोक रहा है...लेकिन थोड़ा उम्र का ख्याल करके कीजिए... पचास के पार होते ही शादी कर लिए हम कुछ नहीं कहेंगे...आशिकी की कसम...क्योंकि हमको अपने टैलेंट पर पूरा भरोसा है...कि तब तक हम किसी कमसिन को तो खोज ही लेगें...


ताजा मामला सानिया का है, शोएब से शादी की चर्चा क्या हुई, शुरु हो गया हंगामा...लोग खफा हैं कि सौ करोड़ से ऊपर की आबादी वाले देश में उसे कोई नहीं मिला..जो पाकिस्तानी से शादी करने जा रही है....मैं भी इस बात से बेहद दुखी हूं...और दुख दूर करने के लिए ऐसे भगवान को बीच में ला दिया हूं...जिनका शादी वादी से कोई खास सरोकार नहीं है...जी हां आप सही सोच रहे हैं, सीधे बजरंग बली से शादी रुकवाने के लिए बोल दिया है...अब मामला शादी ब्याह का है तो देखिए कितना इन्ट्रेस्ट लेते हैं...अब शादी हो गई तो समझिएगा की इन्ट्रेस्ट नहीं लिया...और नहीं हुई तो आप जानते ही हैं कि मेरी बात वो कभी नहीं टालते...लेकिन मैं थोड़ा परेशान भी हूं...सोचता हूं कि अगर, सानिया की शादी टल गई तो भी किसी न किसी से तो शादी होगी ही...और ये भी तय है कि मुझसे तो होने से रही...तो दुख तो बना ही रहेगा...जिसे मेरा नहीं होना है....क्या फर्क पड़ता है कि वो किसकी हो रही है...इसलिए मेरे दिमाग में एक स्कीम आई है...कि क्यों न उसकी शादी परमानेंटली रुकवाने की कोशिश की जाए...क्योंकि वो किसी की हो जाए ये तो मैं बर्दाश्त ही नहीं कर सकता...ऐश्वर्या के बाद बड़ी मुश्किल से अपने आपको संभाला है...ऐसा न हो की इस बार टूट के बिखर ही जाऊं...अब उस दिन की ही बात लीजिए जब सोहराब मिर्जा से सगाई हो रही थी...मुझे तो दिन भी याद है दस जुलाई...मैं कितना बेचैन था...लग रहा था कि कोई मेरी सांस खींच रहा हो...मै अधमरा सा हो गया था...कई महीने तक लगा कोमा में हूं...किसी काम में मन ही नहीं लगा पा रहा था...लेकिन शुक्र है कि सानिया को अक्ल आ गई...या यूं कहें कि मेरी तकलीफ उससे भी नहीं देखी गई..और आखिरकार जनवरी में उसने सगाई तोड़ ही दी...तबसे मैं कितना खुश था...आप सोच भी नहीं सकते...लेकिन बीच में फिर से आ गया मुआं शोएब...लुच्चा कहीं का...सानिया अगर ऐसे ही रहे तो कितना अच्छा होगा...और आपको क्या लगता है हमलोगों को आएशा से कोई हमदर्दी है...अजी बिल्लकुल नहीं...उसको तो हम हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं...आपने तो सुना ही होगा कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है...रही बात सानिया कि वो तो भगवान न करें कभी दुश्मन बने...अभी भी उससे मेरी दुश्मनी थोड़े ही है...बस थोड़ी सी नाराजगी भर है,...यकीन मानिए जल्द ही खत्म हो जाएगी..अपने हाल पर मुझे एक बहुत ही बेहतरीन गीत याद आ रहा है, आप भी तबज्जो दीजिएगा...

तुम अगर मुझको न चाहो तो कोई बात नहीं,
तुम किसी और को चाहोगी तो मुश्किल होगी

लेकिन इसी गाने की जो अगली लाइन है, वही मेरी प्रेरणा है...मेरी ऊपर की सारी बकैतियों का लब्बो लुआब उसी में है...हो सकता मैं अपनी बात आपको अभी तक समझा नहीं पाया हूं...तो कोई बात नहीं लाइन पढ़िए समझ में आ जाएगा...

ये सहारा ही बहुत है मेरे जीने के लिए
तुम अगर अपनी नहीं तो पराई भी नहीं
अब आप ही सोचिए, कि मैं सानिया को कैसे मान लूं कि वो पराई है... बस शादिया मत होने दीजिएगा...और सानिया ही क्या, किसी भी खूबसूरत लड़की की शादी अगर आप रुकवा सकें...तो प्लीज कोशिश कीजिए...क्योंकि मेरे जैसे तो लाखों सनम हैं...

शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2010

सुनो ! क्या चाहती है बिटिया





आम बजट । एक ऐसा शब्द जो शब्दों से हटकर सबकुछ है... शब्द भले ही आम हो लेकिन इसका ये कतई मतलब नहीं है कि ये खास लोगों को प्रभावित नहीं करता....खूब करता है, बल्कि यूं कहें कि कभी कभी कुछ खास लोगों पर अनुकूल प्रभाव डालता है, और कभी कभी प्रतिकूल तो ज्यादा बेहतर होगा...जहां तक आम लोगों की बात है, तो इसके नाम से ही आपको लग गया होगा कि ये आम लोगों के लिए है...और हकीकत भी कुछ ऐसा ही है...अंतर सिर्फ इतना है कि पूरे बजट में आम इंसान का केवल जिक्र भर ही होता है....फिक्र तो कहीं दिखता ही नहीं....खैर मैं मुख्य विषय से भटक गया...और बजट जैसे गूढ़ विषय पर बात करने लगा .....दरअसल मैं आज बात करने जा रहा हूं चाहतों की...नहीं नहीं, वो चाहत नहीं जो आप समझ रहे हैं...बल्कि हम बात कर रहे हैं उस चाहत की, जो इस बजट में लोग वित्त मंत्री से चाहते हैं...आप भी कुछ चाह रहे होंगे, हम भी कुछ चाह रहे हैं...लेकिन बात एक खास शख्सियत के चाहत की...जो अजीब है....अजीब इसलिए कि इस चाहत में एक ऐसी मांग शामिल है , जिसकी मांग आज से पहले किसी ने भी वित्त मंत्रालय से नहीं की....
शरमिष्ठा मुखर्जी । मशहूर कथक डांसर और प्रणब मुखर्जी की पुत्री...वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की पुत्री...हर नागरिक की ही तरह शरमिष्ठा को भी इस बजट से कुछ उम्मीदे हैं..और वो चाहती हैं कि वित्त मंत्री उसे पूरा करें...और इसीलिए उन्होने वित्त मंत्री के लिए एक खुला पत्र लिखा है...जिसमें उन्होंने अपनी मांगें लिखी है...अब सवाल ये उठता है, कि वित्त मंत्री की पुत्री को अपनी किसी मांग को मंगवाने के लिए पत्र लिखने की क्या जरूरत है...तो इसका जवाब भी शरमिष्ठा ने खुद लिखा है...उन्होंने लिखा है कि घर में मैंने कई बार अपने पिता से इस बारे में बात करनी चाही...लेकिन हर बार उनकी फौलादी निगाहों ने मुझे डरा दिया...और मैं कुछ भी नहीं कह सकी...इसीलिए ये खुला पत्र लिख रही हूं। अपने पत्र में उन्होने कलाकारों के लिए कई तरह की सहूलियतों की मांग की है...और कहा है कि मुझ जैसे कलाकारों पर टैक्स को कम करना चाहिए....लेकिन हमें शरमिष्ठा की इन मांगो से कोई खास सरोकार नहीं है...क्योंकि ऐसी मांग तो हर कोई अपने लिए करता है...खुद हम तो अपनी सहुलियतें चाहते हैं.... लेकिन शरमिष्ठा ने जो आगे मांग की है वो कुछ खास है....
दरअसल शरमिष्ठा चाहती हैं कि उनके वित्त मंत्री पिता इस बार के बजट में जानवरों पर भी टैक्स लगाएं...मतलब जानवरों से टैक्स वसूलें...वो भी 90 से 95 फीसदी तक...आप सोच रहे होंगे कि आखिर जानवर कैसे और कहां से टैक्स देंगे...तो हम बताते हैं कि कैसे होगा ये सब...इसके लिे आप खुद ही पढ़ लीजिए की क्यालिका है शरमिष्ठा ने....और क्या है शरमिष्ठा की मांग....

मेरी वित्त मंत्री से मांग है कि 90 से 95 प्रतिशत टैक्स उन जानवरों से वसूला जाना चाहिए, जो दिल्ली और एनसीआर की सड़कों पर खुलेआम घूमते हैं। जिनकी जिंदगी का इकलौता मकसद सड़क पर महिलाओं की गाड़ियों का पीछा करना, और उन्हें तंग करना है ” (शरमिष्ठा मुखर्जी )

जी हां... शर्मिष्ठा परेशान हो चुकी हैं, लम्बी-चौड़ी गाड़ियों में बैठकर लड़कियों का पीछा करने और उन्हें छेड़नेवाले रईसजादों से... वैसे शर्मिष्ठा की ये मांग उन लोगों के लिए भी है, जिनके पास लम्बी गाड़ियां तो नहीं, लेकिन हरकतें बिगड़ैल रईसजादों से कम नहीं...

इस तरह का टैक्स सड़कों पर घूमने वाले रोड साइड रोमियो पर भी लगना चाहिए। और साथ ही वैसे लोगों पर भी, जो महिलाओं के साथ छेड़खानी करते हैं ” (शरमिष्ठा मुखर्जी )

आपको लग रहा होगा, कि ये एक बेटी की मांग अपने पिता से है... लेकिन ऐसा नहीं है... ये महज मांग नहीं है...ये एक त्रासदी है जो बयां करती है महिलाओं के हालात को...ये सवाल के कटघरे में खड़ा करती है उस सरकार को...जिसकी जिम्मदारी है महिलाओं की सुरक्षा की, और साथ ही सच्चाई भी बताती है व्यवस्था के नाकामी की.... ये मांग बताती है कि महिलाएं कितनी परेशान हैं, कितनी त्रस्त हैं...और इतनी डरी हुई हैं कि उन जानवरों से छुटकारा पाने के लिए वो किसी से कुछ भी मांगने को मजबूर हैं...शरमिष्ठा जानती हैं कि किसी की सुरक्षा की जिम्मेदारी वित्त मंत्रालय की नहीं है...लेकिन क्या करें, जिसकी है वो तो कुछ कर नहीं रहा...सो सोचा वित्त मंत्रालय से ही मांग ले...पिता हैं शायद सुरक्षा की गारंटी मिल जाए.... शर्मिष्ठा की ये मांग देशभर में खासकर देश की राजधानी में महिलाओं की बदहाली बखूबी बयां करती है...ये मांग इसलिए भी खास है कि ये शरमिष्ठा ने मांगा है.....आप खुद ही सोचिए कि देश के वित्त मंत्री की बेटी अगर इन जानवरों से इस कदर परेशान है...तो आम महिलाओं का क्या हाल होता होगा....और वो किसे अपना फरियाद सुनाती होंगी,.....और कौन सुनता होगा उनके इस ‘ बकवास ’ को कि...सड़कछाप मजनुओं ने जीन मुहाल कर रखा है...