...उन लोगों से जो इस विषय को सार्थक मानते हैं....और उनसे भी जो समझते हैं कि यह विषय निरर्थक है....सार्थक वालों से इसलिए कि इस बहस में मैं देर से क्यों आया....और निरर्थक वालों से इसलिए कि इस बहस में मैं आया ही क्यूं... वैसे मेरी व्यक्तिगत राय भी सचिन जी की ही तरह है...जहां दिल और दिमाग दोनों में ही द्वंद है....
मैं ब्लॉग नहीं लिखता...लेकिन जबसे यह प्रश्न ब्लॉग बाजार में आया है..अचानक लोगों की लेखन क्षमता तेज हो गई है...सारे समझदार लोग इस विषय पर लिख रहे हैं...और आपस में बातें करके यह बता रहते हैं कि जिसने नहीं लिखा उसकी कोई सोच नहीं है..मतलब कि उसके अंदर सोचने की ताकत नहीं है...तो मैं सिर्फ इसलिए लिख रहा हूं कि लोग समझ सकें कि मैं भी सोचता हूं...और समझदार भी हूं...वैसे इस विषय पर लिखने की अंतिम प्रेरणा मुझे मेरे ऑफिस में काम करने वाले एक शख्स से मिली...जो तबियत खराब होने की वजह से ऑफिस नहीं आ पाए...लेकिन ऑफिस टाइम खत्म होने के चंद घंटे पहले ऑफिस में उजागर हुए...और अपने ब्लॉग धर्म का बखूबी पालन किया...तब तो मुझे यकीन हो गया कि यह काम सिर्फ महान लोगों का ही है...सो पेश है मेरी महानता.....
मैं बिहार से सटा उत्तर प्रदेशी हूं
...पर बिहार के तिलिस्म से अभी भी अपरिचित सा ही हूं....लेकिन जितना समझ पाया हूं, वह यह कि जब तक मैं अपने प्रदेश में रहा ' बिहारवाद ' बिहार में रहने वाले लोगों के पक्ष या विपक्ष की बात थी...लेकिन जबसे दिल्ली में हूं इस वाद से अपने आपको अलग नहीं पाता हूं...इच्छा हो या न हो अपने आपके बिहारियों से अलग नहीं पाता हूं....ज्यादा भीतर तक न जाएं तो यहां पश्चिम को छेड़कर सारे यूपी वाले बिहारी हैं....लोग यह कह सकते हैं कि यूपी, एमपी, राजस्थान वाले अपना वाद नहीं चलाते...मैं मानता हूं कि यह कुछ हद तक सही है....लेकिन इसका यह कतई मतलब नहीं है कि हमारे अंदर यह सोच है ही नहीं...बल्कि हम सभी के अंदर यह बात पलती है कि ' अपने घर में दिया जलाके दूसरे घर में उजाला कईल जाला '... लेकिन हम अपनी ही कब्र खोदने में लगे हैं...तो ऐसा कैसे संभव है...मैने कल ही दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग का एक विज्ञापन पढ़ा, जिसमें लिखा था..." एकता में शक्ति है, आपस में बं ट ने से ह म टू ट जा एं गे"...हम शायद आज भी एक नहीं हैं और अगर बिहार में यह एकता है तो इससे चिढ़ने की जरुरत नहीं है....हम तो चाहते हैं कि सारा प्रदेश अपना अपना वाद चलाए...कम से कम प्रदेश में तो एकता होगी...जिस दिन हम प्रदेश वासी आपस में एक होने का हुनर सीख जाएंगे...सारा देश एक हो जाएगा... क्योंकि जैसे जैसे हम अपनी सीमाओं से दूर होते हैं...शायद एक होते हैं...दिल्ली के उपराज्यपाल तेजेंद्र खन्ना ने जब कहा कि बिहार और यूपी वाले अनुशासनहीन होते हैं, तो हर यूपी वाला बिहार के साथ खड़ा दिखा......जब राज ठाकरे ने कहा कि उत्तर भारतीयों मुंबई छोड़ो, तब सारा उत्तर भारत बिहार के साथ खड़ा दिखा....और जब सायमंड्स ने हरभजन पर आरोप लगाए तब पूरा देश एक साथ खड़ा दिखा...
तो बिहारवाद ही क्यों चलिए भारतवाद पर बहस करते हैं... बिहारवाद के पक्ष और विपक्ष में बहस करते करते दोनों ही खेमे के लोगों ने अपनी स्वतंत्रता की सीमा का उल्ल्घंन करके स्वच्छंदता को अपना लिया...जो मेरी राय में ठीक नहीं है....एक सज्जन ने तो यहां तक लिखा कि "...............से बच्चा पैदा नहीं होता "....अरे भाई ये तो सबको मालूम हो कि ऐसा नहीं होता....तो क्या आपकी बात सिर्फ इसलिए मान ली जाए कि आपने उसी तरह से बच्चा पैदा करने की कोशिश की और नाकाम रहे....और आप भुक्तभोगी हैं इसलिए आपकी बात प्रामाणिक है...तो चलिए मान लिया कि ......लेकिन ऐसा नहीं है कि केवल इस पैदाइशी तरीके पर इनको ही संदेह है....उनका जबाब देने वालों ने तो इसके प्रचार और प्रसार की पूरी जिम्मेदारी का ही लबादा ओढ़ लिया है....और वहां तक उतर आए हैं जो इन सभी लोगों की सतही लड़ाई को उजागर कर रही है....
भाई सारी बातें बलॉग पर ही डाल देंगे ?.....सामने खड़े होकर भी बात की जा सकती है....निपट लीजिए ...खास को आम करने की क्या जरुरत है....
14 वर्ष पहले
8 टिप्पणियां:
अतुल भाई हम बंट ही गए हैं...कहते हैं गलत चीजों का वाद हमेशा खतरनाक होता है...और एक वाद कई वादों को जन्म देता है..क्या गारंटी है कि क्षेत्रवाद से लड़ने के बाद हम जातिवाद और धर्मवाद की गिरफ्त में नहीं होगें...दरअसल गलत वाद अपने लिए हमेशा चारे की तलाश में रहता है...इसलिए मुसलमानों के खिलाफ आग उगलने वाले राज ठाकरे आज उत्तर भारतीयों को निशाना बना रहे हैं...साफ है ऐसे वाद को हमेशा दुश्मनो की जरुरत पड़ती है
भाई तुमने जो लिखा सौ फीसदी सही नहीं तो 98-99फीसदी तो है ही....लेकिन मित्र कुछ बातें ऐसी हैं जिनहें देखा है लेकिन लिखा नहीं जा सकता...अपने इंटरव्यू के दिन को याद करना...और उस सवाल को भी जो तुमने मुझसे एक बार पूछा था...मुचे यकीन है तुम जरूर समझोगै मेरी बात... इसे दिल पर मत लेना और ब्लॉग से हटा जरूर देना
आपका लेख पढ़कर हम और अन्य ब्लॉगर्स बार-बार तारीफ़ करना चाहेंगे पर ये वर्ड वेरिफिकेशन (Word Verification) बीच में दीवार बन जाता है.
आप यदि इसे कृपा करके हटा दें, तो हमारे लिए आपकी तारीफ़ करना आसान हो जायेगा.
इसके लिए आप अपने ब्लॉग के डैशबोर्ड (dashboard) में जाएँ, फ़िर settings, फ़िर comments, फ़िर { Show word verification for comments? } नीचे से तीसरा प्रश्न है ,
उसमें 'yes' पर tick है, उसे आप 'no' कर दें और नीचे का लाल बटन 'save settings' क्लिक कर दें. बस काम हो गया.
आप भी न, एकदम्मे स्मार्ट हो.
और भी खेल-तमाशे सीखें सिर्फ़ 'ब्लॉग्स पण्डित' पर.
अच्छा लिखा है। सफलता के लिए शुभकामनाएं।
पवन निशान्त
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.
वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.
जबरदस्त अल्फाज़ भारी बात बधाई हिन्दी चिटठा जगत में आपका स्वागत है निरंतरता की चाहत है मेरा आमंत्रण स्वीकारें मेरे चिट्ठे पर भी पधारे
bakait ji,achchhi bakbas karte hai app,appki bakbas padhkar aisa laga ki aap hi sabse bade bakait hai,aise hi bakbas likhte rahiye.
भाई बकैत जी ठीक कहा आपने.
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